जंगल का राजा कोन।
जंगल का राजा कौन है?
शेर की कहानी जंगल की जुबानी ।।
सदियों पुरानी बात है, नैनीताल के इलाके में कोशी नदी के पास एक शेर रहता था
सदियों पुरानी बात है, नैनीताल के इलाके में कोशी नदी के पास एक शेर रहता था
छुट्टी का दिन था। सुबह से दोपहर तक vine की तीन बोतलें पीने की वजह से हमारा यह शेर टल्ली हो गया था। पता नही उसके छोटे से दिमाग में क्या खयाल आया, कि जिसकी वजह से वो अपनी संगेमरमर की बनी गुफ़ा से बाहर निकला, और जंगल की ओर चल दिया।
बीच रास्ते में उसे आम के पेड़ के नीचे बैठा हुआ एक नन्हा ख़रगोश दिखाई दिया। जो कि उस वक़्त स्कूल से दिया हुआ अपना होम-वर्क कर रहा था।
शेर ने उसके पास जा कर बोला- “ एय ख़रगोशिये! बता इस जंगल का राजा कौन है?”
अब ख़रगोश रहा बेचारा चौथी कक्षा में पढ़ता विद्यार्थी, वो क्यूँ शेर से पंगा लेगा? कांपती हुई आवाज़ में ख़रगोश बोला- “ जी, आप ही तो है इस जंगल के राजा। शेर थोड़ा सा खुश हुआ और “ठीक है” बोल कर आगे बढ़ा।
रास्ते में, अपने खेत में गेँहू की फ़सल काटकर वापस आती हुई लोमड़ी दिखाई दी। शेर ने लोमड़ी को बीच रास्ते में रोक कर पूछा: “एय लोमड़ी, बता इस जंगल का राजा कौन है?”
अब लोमड़ी जो है, पूरे भारत-वर्ष मैं अपनी चतुराई की वजह से मशहूर है। तो वो भी शेर से पंगा लेने वाली तो थी नही।
लोमड़ी ने कहा- “स्वामी, आप ही तो है इस जंगल के महाराजा। और कौन हैं भला?”
इस मीठे-मधुर जवाब को सुनकर शेर की छाती थोड़ी और चौड़ी हो गयी। ‘सही कहा’ इतना बोल कर शेर मुस्कुराने लगा।
और फिर अपनी थोड़ी और चौड़ी हुई छाती को साथ लिए शेर ने जंगल में आगे की ओर प्रयाण किया। आगे चाय की टपरी के पास- केले के फ्लेवर वाली चटनी के साथ समौसेखाता हुआ हाथी नजर आया।
अब शेर को भी पता था, की हाथी की size उससे बहुत ज्यादा थी। फिर भी शेर ने हाथी से पंगा लेने की सोची। पास जा कर बोला: “एय गोलू मोटू हाथी, बता इस जंगल का राजा कौन है?”
पर हाथी ने बिना कोई जवाब दिए अपने समौसे खाना चालू रखा। अब अपने सवाल को अन-सुना होता हुआ देख कर शेर को बहुत गुस्सा आया।
उसने बड़ी जोर से एक दहाड़ मारी, और फिर से एक बार हाथी को पूछा: “ ओय हाथी, मैं तुमसे कुछ पूछ रहा हूं, बता इस जंगल का राजा कौन है?
हाथी ने फिर भी कोई जवाब नही दिया। अब शेर का गुस्से का पारा चढ़ गया 100 के उपर, उसने बिना कुछ सोचे हाथी की केले के फ्लेवर वाली चटनी नीचे गिरा दी।
और अब, गुस्सा होने की बारी हाथी की थी। और हाथी अपनी जगह ठीक भी था, भला कोई बिना चटनी के समौसे कैसे खा सकता है?
हाथी ने घुमा के मारी एक लात। शेर तीन गुलाटी खा कर छह फीट दूर जा कर एक पेड़ से ऐसे टकराया मानो जैसे कोई चट्टान से टकरा गया हो।
शेर खड़ा हुआ। उसके सिर पर थोड़ी चोट आई थी, और चक्कर अभी तक आ रहे थे।
शेर ने अपना हुलिया ठीक किया। और गुस्से की चाल चलते हुए हाथी के पास आया और बोला- “हाथी भाई, नही पता था तो मना कर देते। इस तरह से लात मारने की क्या जरूरत थी।”
और इस तरह से हमारे शेर की अक्ल ठिकाने आ गई। और यहाँ हमारी यह शेर की कहानी पूरी हुई।
Dosto apko kahani kese lagi comment me jarur batana.by kahani by sks.
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